Thursday 25 June 2015

जीवन की संध्या है, बातें ही बातें हैं

जीवन की संध्या है, बातें ही  बातें हैं
अलसायी,उनींदीं सी न कटती राते हैं

सावन के झूले थे, फागुन की मस्ती  थी
बाैरिन सी दोपहरी,रह-रह कर डसती थी
अब न वे झगड़े है,न,प्यारी मनुहारें हैं
जीवन की संध्या है, बातें ही  बातें हैं

चूड़ियाँ खनकती थीं,पायलें गुनगुनाती थीं
भारी सी पलकें , सब कुछ कह जाती थीं
यादें ही यादें है,और यादें ही गाते हैं
जीवन की संध्या है, बातें ही बातें हैं 

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