रावन का शाब्दिक अर्थ होता है,जो दूसरे को रुलाए । दशानन का एक प्रतीकात्मक अर्थ और भी है ।वह यह कि जिसकी दशों इन्द्रियॉं (पॉंच कर्मेन्द्रियॉं और पॉंच ज्ञानेन्द्रियॉं) बहिरमुखी होती हैं,यानि जिसका इन इन्द्रियों पर नियंत्रण नहीं होता,उसे दशानन कहते हैं । और जो दशों इन्द्रियों का रथी होता है,यानि कि जिसका दशों इन्द्रियों पर नियंत्रण होता है, उसे दशरथ कहते हैं । जिस दिन व्यक्ति अपनी दशों इन्द्रियों पर नियंत्रण कर लेता है यानि दशरथ बन जाता है,उसी दिन प्रभु राम उसके ह्रदयागंन में खेलने लगते हैं ।
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