मैंने "आर्ट आफ लिविंग" के शिविर में एक वी०डी०ओ० देखा था । उसमें दिखाया गया था कि समुद्र में आती हर लहर जो मछलियॉं, सीपी या घोंघे तट पर छोड़ जाती थीं, उन्हें उठा-उठा कर एक व्यक्ति पुन: सागर की लहरों में फेंक देता था । एक दूसरा व्यक्ति जो काफ़ी देर से यह तमाशा देख रहा था, का धैर्य जवाब दे गया तो उसने जाकर उस व्यक्ति से पूंछा,"तुम यह क्या मूर्खता कर रहे हो ? अगली लहर इनको फिर से तट पर मरने के लिए फेंक देगी । तुम इनमें से कितनों को मरने से बचा पाओगे ?" उस व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,"यदि मैं एक को भी मरने से बचा पाया तो मेरा प्रयास सार्थक हो जायेगा । यदि मैं एक को भी नहीं बचा पाया तो कम से कम मुझे यह अफ़सोस तो नहीं होगा कि मैंने प्रयास क्यों नहीं किया ?"
मेरा मानना है कि दोनों में से यदि एक का भी अवतरण जीवन में हो जाये तो मानव योनि में जनम लेना सार्थक हो जाये ।
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