Thursday 4 June 2015

मैगी की बदनामी पर ।

आज सारा ज़माना 'मैगी' के पीछे पागल हो रहा है । टी०वी० में,अख़बार में,इन्टरनेट में,इस समय केवल तेरी ही चर्चा है ।तेरी ख्याति तो पहिले ही पूरे संसार में फैली हुयी थी,अब तो दिग-दिगंत तक,तू ही तू व्याप्त हो रही है ।रशक होता है मुझे तुझसे,काश ईश्वर ऐसा सौभाग्य सब को प्रदान करे ।मुझे एक शेर का टुकड़ा याद आ रहा है,"क्या बदनाम होगें तो नाम न होगा?"
प्रिय 'मैगी' तम इतनी देर से इस देश में क्यों आईं ?जब मैं लहसुन,प्याज़ और packed food छोड़ चुका था । थोड़ा पहिले आ जाती तो कम से कम मेरे अधर और जिह्वा भी तेरे रसास्वादन से वंचित तो न रह जाते ? कितना अभागी हूँ मैं ? कि मिलन के बग़ैर ही वियोग का दुख झेलना पड़ रहा है ।
'मैगी' तू इस दुख: में अपने को अकेली मत समझना ।इस विपदा में पूरा देश जार-जार रो रहा है ।माताएँ दुखी हैं कि अब कैसे वे अपने पालितों की तीव्र क्षुधा को २ मिनट में शान्त कर पायेगीं ? बच्चे दुखी हैं कि उन्हें फिर से उसी पारम्परिक भोजन पर निर्भर होना पड़ेगा ? तेरी जैसी वैविध्यता पारम्परिक भोजन में कहॉं ? और अगर हो भी तो 'मम्मी' बनाना नहीं जानती तो क्या फ़ायदा ?सबसे ज़्यादा दुखी हैं,'पुरुष'। उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि पत्नी के बाहर चले जाने पर या रूठ जाने पर,जो उनका साथ देती थी,वही छोड़कर जा रही है तो अब वे किसके कन्धे का सहारा लेगें ? क्षात्रावास में रहने वाले भी दुखी हैं कि अब तक तो वे 'मेस' के बे-सवाद खाने के ज़ायक़े को ठीक करने के लिए जिसकी शरण में जाते थे,वही नहीं रहेगी,तो उनका क्या होगा ?

हमारा देश भी अजीब है ?पृदूषित जल पी लेगें, रासायनिक दूध पी लेंगे,सब्ज़ी खा लेगें,अन्न खा लेगें और डकार भी नहीं लेगें ।आज़ादी के बाद से इतने बार धोखा खाने के बाद भी उन्हीं धोखेबाज़ों पर विश्वास कर लेगें पर 'नेसले' पर विश्वास नहीं करेंगे ।हद हो गयी दोहरे चरित्र की ।
'मैगी' यह तेरे धैर्य की परीक्षा है ।तू घबड़ा मत ।तू अकेली नहीं है ।"धीरज,धर्म,मित्र अरु नारी,आपत्काल परखिहि चारी"।तेरे चाहने वाले बहुत हैं,वे किस दिन काम आएँगे ? तुझे अपने जन्मदाताओं पर विश्वास रखना चाहिए,वे तुझे बचाने के लिए अपना सब कुछ दाँव पर लगा देंगे क्योंकि उनके घरों में चूल्हा तेरी वजह से ही जलता है,तेरी रोशनी से ही उनके घरों के चिराग़ रोशन होते हैं ।

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