एक पूरा हुआ नहीं कि दूजा आता है
मुक्ति नहीं होनी है तेरी क्योंकि तू रागों से घिरा हुआ है
तेरा एक-एक अंग काम के पुष्प बाणों से बिंधा हुआ है
लो मधु का प्याला भी रीता जाता है
जीवन अनुबन्धो में ही बीता जाता है
अब भी बच सकता है तू यदि नेह कहीं तू और जोड़ ले
बेमतलब की इस दुनिया से यदि अब भी तू मुँह मोड़ ले
सॉंसे कम है एैसा यह पगला गाता है
जीवन अनुबन्धो में ही बीता जाता है
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