Friday 24 July 2015

कल फिर वही सूरज उगेगा

जीवन का सूरज
ढलता तो है
मरता नहीं है
कल
फिर वही
सूरज उगेगा
उजास होगा
उल्लास होगा 
कलियाँ खिलेंगी
चिड़ियॉं चहचहायेगीं
सप्तरंगी रश्मियों की
डोली में
आयेगा
मन्दिरों में घंटियाँ बजेंगीं 
मस्जिदों में अजान होगी
ज़िन्दगी गुनगुनायेगी
जवानी मुस्करायेगी
इस
आने वाली सुबह के लिए
जीवन की संध्या को
सूरज को
अपने आग़ोश में
लेना ही होगा 
लेना ही होगा

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