----------------------------------------------------
यह बुन्देलखण्ड की एक कहावत है ।
इसका शाब्दिक अर्थ है कि कबीर जहाँ-जहाँ मठ्ठा(छाछ) के लिए जाते हैं,वहॉं भैंस और पड़वा (भैंस का बच्चा) दोनों मर जाते हैं ।
इसका लाक्षणिक अर्थ यह है कि व्यक्ति का भाग्य,उसके आगे-आगे चलता है ।
इसका आध्यात्मिक अर्थ है कि कबीर जहाँ-जहाँ मठ्ठा यानि कि अपनी खोज में गए तो उन्होंने पाया कि भैंस यानि कि माया और पड़ा यानि कि अंहकार का विगलन स्वत: हो गया है ।
No comments:
Post a Comment