Friday 1 May 2015

भतीजे Pranshu Kanre के सगाई दिवस पर ।

तुम बँधने जा रहे हो आज ऐसे बन्धन में
जो जीवन भर तुम्हें उल्लास देगा, अनुराग देगा, तृप्ति देगा, शक्ति देगा ।
ऐसा बन्धन जो तुम्हें रुलायेगा भी, हँसायेगा भी,
गड़गड़ाओगे भी, गिड़गिड़ाओगे भी ।
ऐसा बन्धन जो अदृश्य होगा, पर सख़्त होगा ।
इस दिन का मॉं, मॉं बनने के दिन से इन्तज़ार करती है,
और बहू के सुरक्षित हाथो में सौंपकर तुमहे,
मुक्त हो जाना चाहती है, अपने उस उत्तरदायित्व से,
जिसे उसकी सास ने उसे दिया था ।
तुम पिता बनने के बाद ही समझ पाओगे, पिता होने का अर्थ ।
तुम्हारे नाम के साथ एक नाम और जुड़ने जा रहा है 
जिसका निर्धारण गजानन ने तो तुम्हारे जन्म के पूर्व कर दिया था,
संसार आज करेगा ।
आज के दिन मुझे तुम्हारे ताऊ बहुत याद आ रहे हैं,
मेरे बच्चे ।
यह शायद उन्हीं का अदृश्य निर्देश है,
जिसने मुझे, आज के दिन 
यहाँ लाकर खड़ा कर दिया है, मेरे बच्चे ।
आज के दिन अपने गुरु,अपने प्रभु से यही प्रार्थना है
कि तुम्हारा जीवन ऐसा नखलिसतान हो,
जिसमें बसन्त का उल्लास हो, फागुन का रनिवास हो ।
सावन के झूले हो, भूल जाने वाली भूले हों ।
जेठ के दिन हों तो पूस की राते हों 
बच्चों की किलकिलाहट हो और हर चेहरे पर मुस्कराहट हो ।

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