Monday 29 August 2011

काजर की कोठरी में

       " काजर की कोठरी में, कैसेहूँ सयानो जाय, काजर को दाग वाको लागिए ही लागिए" | अन्ना जैसे स्वच्छ छवि वाले व्यक्ति के लिए पहिले यह कहा गया कि वह भ्रष्टाचार में  आकंठ डूबे हुए हैं | जब इस देश की जनता ने इस आरोप पर जबरजस्त नाराजगी व्यक्त की तो अब यह कहा जा रहा है कि इस आन्दोलन के लिए धन कहाँ से आ रहा है ? इसी तरह का आरोप जयप्रकाश जी के आन्दोलन के लिए भी लगाया गया था |                                                       जब भी इस धरती पर किसी महान आत्मा ने जन्म लिया है उसे इस तरह के आरोपो का सामना करना पड़ा है | भगवान राम को 14 वर्षों का बनवास भुगतना पड़ा,माँ सीता को अग्निपरीछा से   निकलना पड़ा | सुकरात को जहर पिलाया गया | ईशा को सूली में चडाया गया | गाँधी को गोली मारी गयी | जिसने भी समाज को बुराइयों से मुक्त करना चाहा,उस समय के बुराइयों में डूबे हुए व्यक्तियों ने,यथास्थित के  पक्छधारक लोगों ने, उन महान व्यक्तियों को कलंकित करने का ऐसा ही घ्रणित प्रयास किया है |  मित्र की कुछ पंक्तियाँ याद आ रही हैं,"रगों में दौड़ने के हम नहीं कायल, जो आखों से न टपके, वह लहू क्या है|" " एक बूढ़ा आदमी है या यह कहूँ, एक रोशनदान है|" अन्ना हजारे एक रोशनदान की तरह, हमारे अँधेरे मन में, एक ऐसे प्रकाश के संवाहक बन गए है जो हमें भर गया है,आशाओं से, आनंद से, उत्साह  से,इक ऐसी उर्जा से, जो हमें दे गया है, अपने अधिकारों के लिए, एक लम्बी लड़ाई लड़ने का साहस |

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