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२०१५ की विदाई और २०१६ के स्वागत् में, आप सब में, अपने आराध्य सिया-राम का ही निवास मानते हुए, आपके श्रीचरणों में करबद्ध प्रणाम करते हुए, निवेदन करता हूँ कि आप सब ह्रदय से मुझे आशीर्वाद दे कि नव-वर्ष में, मेरी गर्दन,जो, रूढ़ियों, परम्पराओं और जन्मो-जन्मो के संस्कारों के अंहकार के कारण, झुकना भूल गयी है और हर समय अकड़ी रहती है, को अपने मूल स्वरूप की स्मृति आ जाए और वह ज़रा सा झुक जाए जिससे मैं अपने यार (आराध्य) के दीदार करने में सफल हो सकूँ ।
"दिल में छुपा के रक्खी है, तस्वीरे यार की ।
ज़रा सा गर्दन झुकाई, देख ली ।।"
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