आज से ३६ वर्ष पूर्व
अंनंत आकाश में
कुलांचे भरने वाला
यह मुक्त प्राणी
जकड़ दिया गया था
बन्धनों में ।
और यह बंधन का स्वीकार
उसका स्वयं वरित था
क्योंकि
थक जाने पर
इस मुक्त प्राणी ने
जब भी किसी आधार का सहारा लेकर
विश्रांति पानी चाही
तब-तब आधारों ने सहारा देने की बजाय
दिया था उसे
मानसिक यंत्रणा, त्रास और विश्वासघात का दंश
तब मुझे लगा
कि मैं नहीं सम्हाल पाउंगा
अपना मानसिक संतुलन
मेरी माँ
हाँ मेरी प्यारी-प्यारी वह माँ
जिसने युवा अवस्था से ही झेली थी
वैधव्य की पीड़ा
जिसकी जाने कितनी आशाएं,आकांक्षाएं टिकी थी
मेरे ऊपर
माँ जो मेरा विवाह संपन्न कराकर
मुक्त होना चाहिती थी
अपने सामाजिक,पारिवारिक,भौतिक
अंतिम उत्तरदायित्व से
माँ
जिसका चेहरा उदास रहने लगा था
मेरे लगातार विवाह से इंकार करने पर
और तभी
विक्षिप्तता की ओर तेजी से बढ़ रहा
मैं
कांप उठा यह सोंचकर
कि यदि मैं ठीक नहीं रख पाया अपना मानसिक संतुलन
तो जीवन भर अपने बच्चों के लिए संघर्ष करती रही
मेरी माँ
कैसे रह पायेगी मेरे बिना ?
और तब मैंने सिर झुका कर मान लिया
अपनी माँ का आदेश
और इस तरह तुम मेरे जीवन में
आयी थीं
मेरे तीन बच्चों की माँ
मेरी दुर्गा, मेरी सुशी
५-२-१९७६ का अंक ३ था
५-२-२०१२ का अंक भी ३ है
और आज ३६ वर्ष का अंक ९ है
जो कि बहुत ही शुभ अंक माना जाता है
क्योंकि यह पूर्णांक का द्योतक है
३६ वर्षों तक
मुझ जैसे व्यक्ति को
झेलने का अप्रतिम साहस
जिसने दिया है तुमको
उसके लिये आभारी हूँ
मैं
अपने प्रभु का, अपने गुरु का, अपनी माँ का,अपनी मम्मी का
और तुम्हारा भी
हाँ तुम्हारा भी
क्योंकि
तुमने दिये हैं
मुझे
प्यारे-प्यारे ३ संस्कारित बच्चे
जिन्होंने दिये हैं
मुझे
माँ काली, माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती की अवतार
कात्यायनी,श्राव्या और मनस्विनी जैसी
प्यारी-प्यारी राजकुमारियां
जिनका कोमल स्पर्श
जिनकी निश्छल हंसी
भर देती है न ख़त्म होने वाली ऊर्जा से
मुझे अंदर तक
और एक स्निग्ध तरलता में
आकंठ डूब जाता हूँ
मैं
इसके लिये मैं आभारी हूँ
तुम्हारा
मेरी प्यारी-प्यारी सुशी
जीवन यातृा का सजीव और मर्मस्पर्शी चितृण - अति सुन्दर
ReplyDeleteआभार
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